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राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए पिछले दिनों चुनाव आयोग ने भी एक इच्छा ज़ाहिर की. उनकी मंशा है की जिस तरह से अन्य चुनावो में प्रतिभागी प्रत्याशियों से उनकी आय का लेखा जोखा लिया जाता है, ठीक उसी तरह महामहिम के चुनाव के प्रत्याशियों से भी किया जाये. कहने सुनने में तो ये एक बहुत ही नेक विचार लग रहा है, और शायद ऐसा आगामी समय में हमें देखने को भी मिले, लेकिन सवाल उठता है की ऐसे हलफनामो का क्या फायदा जिसमे राजनीतिक बड़े शान से अपने पास करोडो की संपत्ति दर्शाते है लेकिन वो न तो ये बताते है की ऐसे क्या स्रोत उनके पास है की उनकी संपत्ति हर साल २० से १०० गुना तक बढ़ जाती है? क्या चुनाव आयोग राष्ट्रपति की रेस में दौड़ने वालो से ये सवाल कर सकेगा? या हमारे जनप्रतिनिधियों से.
जनता को सब पता है की कोई भी नेता चाहे वो जिला स्तरीय ही क्यों न हो, किस प्रकार से कुछ ही समय में अर्श से फर्श को छूता है.
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