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आपत्तिजनक क्यों?

Kuch to pado
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सुबह सुबह एक न्यूज़ चैनल पर समाचार आ रहा था “बाबा रामदेव का सांसदों और संसद के बारे में आपत्तिजनक बयान”, आगे सुनने पर पता चला की बाबा ने कुछ सांसदों को हत्यारा और कातिल बताया है.
यह पहला मौका नहीं है जब किसी शख्सियत वाले व्यक्ति ने ऐसा कहा है. पूर्व में भी टीम अन्ना के लगभग हर सदस्य ने ऐसे टिप्पणिया की है. जब जब ऐसी टिप्पणियां हुई है तब-तब प्रतिक्रिया स्वरुप सांसदों के माथो पर लकीरे खिची है. उन्होंने इसे “संसद का अपमान”, “संसोड़ो के विशेष अधिकारों का हनन” और न जाने क्या क्या कहा. इतना ऐसा कहने वालो को भी नहीं बक्शा और विभिन्न तरह की छानबीन इन लोगो के विरुद्ध करवाई.
गौरतलब है की यह बाते जो अन्ना. बाबा या उनके किसी सहयोगियों द्वारा की जा रही है, वो आज पूरे भारत के जनमानस की सोच है. आज किसी भी चौराहे पर आपको ऐसी बाते होती सुने दे जाएँगी, बल्कि कई तो राजनीती और नेताओ से सम्बंधित बाते करके अपना मुह का जयका बिगाड़ना पसंद नहीं करना चाहते. ऐसे में अगर इन सांसदों को यह लगता है की यह उनका और संसद का अपमान है तो ये अपमान उनका हर आदमी हर रोज़ कर रहा है.
खेद की बात है की संसद, जिसे लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है, एक ऐसे स्थान में बदल गया है जहा हर प्रकार के अपराध करने वाला शरण पा रहा है, ठीक उसी तरह जैसे कोई चोर या लुटेरा पुलिस से बचने के लिए किसी मंदिर की आरती में शामिल हो जाये. एक बात इन विभिन्न बयानों में ये देखने को मिली है की ऐसे बयानों के खंडन में वे जन प्रतिनिधि सामने आ रहे है जिनके लिए शायद ऐसी टिप्पणिया नहीं की जा रही है, इस लिहाज़ से ऐसे ठीक थक छवि के ये सांसद अपराधी सांसदों का बचाओ ही कर रहे है.
इससे भी दुखद है मीडिया की भूमिका, जो लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है और अपने आप को “सच का रक्षक” कहती है, वो मीडिया जो “सच” को किसी भी कीमत पर जनता के सामने रखने का दंभ भारती है. आज वही मीडिया कह रही है की “यह अमुख आदमी की निजी राय है, हमारे चैनल इस से इत्तेफाक नहीं रखता” और ऐसे बयान को “आपत्तिजनक” मानता है. अफ़सोस होता है ये देख कर की तमाम आपत्तिजनक संवाद, आपत्तिजनक दृश्यों की फिल्म क्लिप तो ये मीडिया दिखा देता है लेकिन एक सच बात को “आपत्तिजनक” करार देता है. यकीन करना मुश्किल है की ये वही मीडिया है जो कभी-कभी ऐसे दागदार छवि के लोगो के कारनामो को जनता के सामने स्टिंग ऑपरेशन के तहत लाती है काश मीडिया ऐसे बयानों के समर्थन में आये तो शायद लोकतंत्र के हत्यारों पर कुछ नकेल लग सके.


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